चेन्नई में पोंगल कि तैयारियां शुरू हो गई हैं। बड़े बड़े मालों में , बड़ी बड़ी दुकानो ने बड़े बड़े डिस्कॉट आफर दिए हुए हैं। सब ने अपने तरीके से पोंगल मानाने के प्लान बनाये हुए हैं , कुछ अपने पैतृक गाँव जा रहे हैं तो कुछ घर पर ही मानाने की सोच रहे हैं। नए ज़माने में पोंगल मानाने के तरीकों में भी बदलाव आया है। पोंगल का त्यौहार नई फसल के स्वागत के लिए मनाया जाता है।चरों तरफ रंगोली सजाई जाती है और पूरा माहोल ख़ुशी से झूम सा उठता है। इस अवसर पर तमिल नाडु में कई जगहो पर जल्लीकट्टू नाम कि प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। जल्लीकट्टू में प्रतियोगी बैल को काबू में करने की कोशिश करते हैं। गन्नो और केलो के ढेर आते जाते दिखाई दे रहे हैं , खुशियों में कुछ कमी न रह जाये सब यही सोच रहे हैं। पर आधुनिक सभ्यता की तेज भागती ज़िन्दगी में त्यौहार अपनी महत्ता खोते जा रहे हैं और पोंगल भी इस से अछूता न रहा है।
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OMR रोड पर गाड़ियों की भीड़ में अपनी जगह बनाती सजी हुई बैल गाड़ी देख रहे हैं आप ? मानो आधुनिकता कि भाग दौड़ में सांस्कृतिक सरलता का बोध करा रही हो। पोंगल आने ही वाला है। |
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सूर्य भगवन के दर्शन बड़े दिनों बाद , उनसे निकल रही किरणो को देख पाना एक अनूठा अनुभव था। पानी में तैरते हुए प्रवासी पक्षी सुबह मानों यहाँ सूर्य दर्शन को आते हैं और धूप होते ही पास के पल्लिकर्णि दल दल कि तरफ उड़ जाते हैं। |
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